मुंबई पुलिस के निलंबित सब इंस्पेक्टर और प्रसिद्ध ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ दया नायक की सेवाओं को बहाल कर दिया गया है। दया नायक को ड्यूटी ज्वॉइन नहीं करने और लंबे समय तक सिक लीव लेने के कारण पिछले वर्ष जून में निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के समय उनकी तैनाती नागपुर क्षेत्र में थी।
अंडरवर्ल्ड से संबंधों की चर्चा के कारण हटाया गया
नायक को 2006 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में पत्रकार केतन तिरोडकर की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार भी किया था और वह तब भी सस्पेंड हुए थे। उस समय उनपर अंडरवर्ल्ड से संबंध होने के भी आरोप लगे। एसीबी ने जांच की लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।
इसके बाद उन्हें नागपुर में पोस्टेड किया गया था, लेकिन उन्होंने पदभार नहीं संभाला इसके चलते उन्हें हटा दिया गया था। हालांकि नायक का कहना है की उन्हें ऑर्डर की कॉपी अभी नहीं मिली है। फिलहाल उन्हें उत्तर पश्चिम विभाग में तैनात किए जाने की खबर है।
कर्नाटक के हैं दया
कर्नाटक में जन्मे दया की स्कूली पढा़ई कन्नड़ में हुई। दया सातवीं कक्षा तक कन्नड़ स्कूल में पढ़े। आर्थिक स्थिति बिगड़ने के बाद दया सन 1979 में मुंबई आए। उनके सपने बड़े थे। इसके लिए उन्होंने शुरूआती नौकरी के तौर पर एक होटल में काम किया।
होटल का मालिक दया को मेहनताना दिया करता था। उन्होंने ही दया को ग्रैजुएशन तक पढ़ाया। पुलिस की नौकरी लगने के पहले तक दया ने आठ साल होटल में काम किया। वहीं, कुछ समय तक उन्होंने 3000 रुपए प्रति माह पर प्लम्बर की नौकरी भी की थी।
प्लम्बरिंग के काम के दौरान ही दया नायक की मुलाकात नारकोटिक्स विभाग के कुछ अधिकारियों से हुई। बस इसी मुलाकात में दया को यूनीफार्म का शौक पैदा हो गया और १९९५ में दया जुहू में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर नियुक्त किए गए। यही वो दौर था जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड सक्रिय था और सड़कों पर गैंगवार आम बात हुआ करती थी। बस इसके बाद से ही नायक की रफ्तार इतनी तेज हो गई कि फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बॉलीवुड में बनी फिल्में
दया नायक के किरदार को कई बार फिल्मी पर्दे पर भी उतारा गया। बॉलीवुड में इनपर कई फ़िल्में बनाई गईं। कई टीवी सीरियल में भी इनके नाम के किरदार नज़र आते रहे हैं।
83 एनकाउंटर्स किए हैं अब तक
1996 में नायक ने पहला एनकाउंटर किया था, जो अब तक 83 तक पहुंच चुका है। जिनमें खूंखार गैंगस्टर विनोद मातकर, रफीक दब्बा, सादिक कालिया और लश्कर-ए-तय्यबा के तीन आतंकी भी शामिल हैं।
नायक के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2002 में गलत तरीके से सम्पत्ति अर्जित करने के आरोप लगने के दौरान ही नायक ने अपने गांव में अपनी मां के नाम पर एक स्कूल खोला था, जिसके उद्घाटन पर कर्नाटक के शिक्षामंत्री सहित देश की कई हस्तियां मौजूद थीं। इसके बाद साल 2004 में मकोका कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्रांच को दया नायक की सम्पत्ति की जांच के निर्देश दिए।