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डॉक्टरों ने भी मान ली थी हार, फिर शख्स ने बिस्तर पर पड़-पड़े खुद ढूंढा इलाज और हो गया ठीक
डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन जब वो भी किसी बीमारी का इलाज करने में असफल हो जाएं तो फिर किसी और से कोई आस ही नहीं रहती। कुछ ऐसा ही हुआ था अमेरिका के रहने वाले डॉउ लिंडसे नामक शख्स के साथ, जिनकी बीमारी का इलाज करने में डॉक्टरों ने भी हार मान ली थी, लेकिन लिंडसे हारे नहीं थे। उन्होंने अपनी बीमारी का इलाज खुद ढूंढा और अब वो बिल्कुल ठीक हो गए हैं।
साल 1999 में डॉउ लिंडसे जब 21 साल के थे, तब वह एक दिन अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। उसके बाद से वह बार-बार बेहोश होने लगे। डॉक्टर भी नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर उन्हें क्या बीमारी है। कुछ डॉक्टरों ने उनकी बीमारी को थॉयराइड से जुड़ा बताया, लेकिन वो उसका इलाज नहीं कर पाए। इस दौरान उनका कॉलेज जाना भी छूट गया।
धीरे-धीरे लिंडसे की परेशानियां बढ़ती गईं और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। अब चूंकि डॉक्टर भी नहीं बता पा रहे थे कि आखिर उन्हें हुआ क्या है, ऐसे में लिंडसे ने बिस्तर पर पड़े-पड़े खुद ही अपनी बीमारी को पहचानने और उसका इलाज ढूंढने का बीड़ा उठाया।
लिंडसे ने ढाई हजार पेज की एंडोक्रिनोलॉजी की एक किताब पढ़ी, तब जाकर उन्हें अपनी बीमारी के बारे में पता चला। साल 2010 में उन्हें पता चला कि उनके एड्रीनल ग्लेंड्स (अधिवृक्क ग्रंथी) में ट्यूमर है, जिसे डॉक्टर पहचान नहीं पाए थे।
लिंडसे को जब अपनी बीमारी के बारे में पता चल गया तो उन्होंने इलाज के लिए अपने एक वैज्ञानिक दोस्त की मदद ली और सर्जरी कराई। सर्जरी सफल रही और कुछ दिनों के बाद वह चलने-फिरने लगे। चार साल बाद यानी 2014 तक वह पूरी तरह ठीक हो गए और भागने-दौड़ने भी लगे। उनकी उम्र फिलहाल 41 साल हो चुकी है और अब वह लोगों को मोटिवेट करते हैं।