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फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी से कहता है ऐसी बात जिसे नहीं जानते होंगे आप

किसी को फांसी देते समय कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। इसमें फांसी का फंदा, फांसी देने का समय, फांसी की प्रकिया आदि शामिल हैं। भारत में जब किसी अ पराधी को फांसी होती है तो जल्लाद कैदी को फांसी देने से पहले उसके कान में कुछ कहता है। इसके बाद ही अ पराधी को फांसी दी जाती है।
फांसी देते समय कुछ ही लोग उस जगह मौजूद रहते हैं। इनमें फांसी देते वक्त वहां पर जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जल्लाद और डाॅक्टर रहते हैं। इन 4 लोगों का होना बहुत जरूरी है। इनके बिना भारत में किसी को भी फांसी नहीं दी जा सकती।
जल्लाद फांसी देने से पहले बोलता है कि मुझे माफ कर दो। हिंदू भाई को राम-राम, मुस्लिम को सलाम, हम क्या कर सकते हैं हम तो है हुकुम के गुलाम। इतना बोलकर जल्लाद फांसी का फंदा खींच देता है।
फांसी देना जेल अधिकारियों के लिए बहुत बड़ा काम होता हैं और इसे सुबह होने से पहले ही निपटा दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि दूसरे कैदी और काम प्रभावित ना हो।
इसके अलावा एक नैतिक कारण ये भी है कि जिसको फांसी की सजा सुनाई गई हो उसे पूरा इंतजार कराना भी उचित नहीं है। सुबह फांसी देने से उनके घर वालो को भी अंतिम संस्कार के लिए पूरा समय मिल जाता है।
भारत में फांसी देने के लिए केवल दो ही जल्लाद हैं। वैसे तो इन्हें सरकार 3000 रुपये महीने देती है लेकिन आ तंकवादियों को फांसी देने पर इन्हें ज्यादा पैसे दिए जाते हैं।