कार की एयर कंडीशनर (एसी) की ठंडक इंसानों की सांसों को जमा (फ्रिज) कर रही है। मेरठ जोन में एक साल में बंद कार में एसी चलाकर सो जाने या फिर आराम करने पर 35 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस ने इन मौतों को संदिग्ध मानकर जांच कराई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुलिस उलझ गई। फोरेंसिक एक्सपर्ट से इसकी जानकारी जुटाई तो सच सामने आ गया। जिसमें खुलासा हुआ कि कार में दम घुटने से ही इनकी मौत हुई है।
इन घटनाओं को देखकर पुलिस हैरान है। मेरठ में जानी भोलाझाल पर गंगनहर के पास दो लोगों की मौत और गंगानगर में एक युवक की मौत का कारण भी बंद कार में एसी चलाना सामने आया है। एक सप्ताह में तीन लोगों की मौत होने के बाद पुलिस ने तीनों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेकर बारीकी से जांच कराई। उसके बाद पुलिस ने लखनऊ, आगरा और मोदीनगर लैब के फोरेंसिक एक्सपर्ट से राय लेकर लोगों को बंद कार में एसी में सो जाने पर या फिर आराम करने के प्रति सावधानी बरतने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की बात कहीं हैं।
न शे की मदहोशी में इनकी गई जान
मेरठ जोन में बंद कार में एसी लोगों की मौत के पीछे न शे की मदहोशी भी मुख्य कारण बताया गया है। मेरठ में आठ मई 2019 को भोलाझाल पर अब्दुल्लापुर भावनपुर निवासी ब्रजपाल और नरेंद्र त्यागी, 14 मई 2019 में गंगानगर में नरेंद्र कुमार की मौत कार में सो जाने पर हुई। दो दिसंबर 2018 में जानी में हरेंद्र, हस्तिनापुर में अक्टूबर 2018 में अमित और बहसूमा में सितंबर 2018 इमरान के शव कार में मिले थे। नोएडा में तीन, गाजियाबाद में पांच, बुलंदशहर में पांच, हापुड़ में दो, मुजफ्फरनगर में पांच, सहारनपुर में चार, शामली में तीन और बागपत में दो मौत होना बताया गया।
गला सूखा व शरीर नहीं करता काम
मेरठ मेें तीन लोगों की मौत के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम करने वाले तीन डॉक्टरों से बातचीत की। डॉक्टरों ने बताया है कि बंद कार में एसी चलाने से मोनोऑक्साइड गैस जहरीली बन जाती है। जिसके चलते कार में बैठे शख्स का 30 या फिर 45 मिनट बाद ही गला सूखने लगना शुरू हो जाता है। आवाज बैठने लगती है। उसके बाद शरीर मानों काम करने बंद कर देता है। ऐसे हालत में शख्स अगर न शे में है तो वह सो जाता है। धीरे-धीरे हार्ट काम करना बंद कर देता है।
कार में दो गैस पहुंचाती हैं सेहत को नुकसान
फिजिशियन डॉ. तनुराज सिरोही ने बताया कि बंद कार में एसी के साथ आने वाली गैसें धीरे-धीरे शरीर के अंदर चली जाती हैं। अगर व्यक्ति सोया हुआ है तो उसे बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहता है कि उसके शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही है। शरीर में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा ज्यादा होने से सांस लेने में मुश्किल होती है और कई बार तो दम घुटने से मौत भी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि अगर कार में एसी चला रहे हैं तो शीशे को थोड़ा सा खोल दें। ऐसा करने से कार्बन डाइऑक्साइड बाहर जाएगी और ऑक्सीजन अंदर आएगी। इससे कार में बैठे में लोगों को सांस लेने में कोई भी समस्या नहीं होगी। सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरोत्तम तोमर ने बताया कि कार के एसी के कारण अंदर वाला हिस्सा तो बहुत ज्यादा ठंडा हो जाता है। इसी वजह से इंजन काफी गर्म होने लगता है, इसलिए ज्यादा एसी चलाने से हादसा होने की आशंका बढ़ जाती है।
बंद कार में आराम करने से बचें
आईपीएस अविनाश पांडेय (एसपी देहात मेरठ) कहते हैं कि आईपीएस को प्रशिक्षण देने वाले मध्य प्रदेश के डॉक्टर एम. चंद से उनकी बात हुई। जिन्होंने बताया कि कार का रेडिएटर, इंजन और एग्जास्ट फैन की सर्विस कराते रहना चाहिए। गर्मी में बंद कार में एसी चलने से कार्बन मोनोआक्साइड गैस इंजन से होकर जहरीली बन जाती है। देशभर में इसके चलते कई मौतें हो चुकी है। बंद कार में एग्जास्ट फैन को हमेशा चलाकर रखें।
भोलाझाल के पास कार में दो लोगों की मौत का मामला पूरी तरह से सुलझा नहीं कि मंगलवार शाम गंगानगर में एक युवक का शव कार में मिला। पुलिस ने मौत का कारण दम घुटना बताया तो युवक के परिजनों ने हत्या का आरोप लगाकर हंगामा कर दिया।
पुलिस के अनुसार गंगानगर एम ब्लॉक में पार्क के पास ईओन गाड़ी लावारिस हालत में दोपहर से खड़ी थी। रात 9.30 बजे स्थानीय लोगों ने कार में एक युवक को पड़ा देखा तो पुलिस को सूचना दी। सूचना पर गंगानगर पुलिस और फोरेंसिक एक्सपर्ट मौके पर पहुंचे। पुलिस ने बताया कि कार का लॉक खुला था। कार से बेहोश मिले युवक को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया।
युवक की पहचान मूल रूप से जैनपुर परतापुर निवासी नरेंद्र (35) पुत्र कर्णसिंह हाल निवासी श्रद्धापुरी कंकरखेड़ा के रूप में हुई। अविवाहित नरेंद्र फिलहाल अपनी बहन के यहां गंगानगर में रह रहा था। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में माना कि उसकी मौत कार के एसी की गैस के चलते हुई है। उसने पहले शराब पी और फिर ड्राइवर की बगल वाली सीट पर लेट गया था। सीओ अखिलेश भदौरिया के मुताबिक नरेंद्र ने तीन माह पूर्व जमीन बेचकर कार ली थी। नरेंद्र का शव ड्राइवर की बगल की सीट पर मिला।
कार में लेटना बन रहा काल
भोलाझाल के पास कार में दो लोगों की मौत बीती आठ मई को हुई थी। पुलिस जांच में माना गया कि दोनों लोग कार में एसी चलाकर आराम कर रहे थे। एसी से निकलने वाली मोनो आक्साइड गैस से दोनों लोगों की मौत हो गई। रुकी हुई गाड़ी में यह जहरीली गैस बन गई। जिसका असर सीधा हार्ट पर पड़ा था। ठीक उसी तरह से गंगानगर में कार में नरेंद्र की मौत होना माना जा रहा है।
source amarujala