बात जनवरी 2016 की है। आ तंकियों ने पठानकोट में ह मला किया। इस हमले के बाद आ तंकियों को ढूंढने के लिए चलाए गए ऑपरेशन में एक गरुड़ कमांडो ऐसा भी था जो 6 गो लियां लगने के बाद भी एक घंटे तक आ तंकियों से मोर्चा लेता रहा। ऑपरेशन के दौरान कमांडो गुरुसेवक और शैलभ की नजर झाडि़यों के छिपे आ तंकियों पर सबसे पहले पड़ी। जवाबी हमले में गुरुसेवक शहीद हो गए जबकि शैलभ बुरी तरह घायल हो गए।
दलीपगढ़ के दिनेश नगर निवासी गरुड़ कमांडो शैलभ गौड़ आ तंकियों की 6 गो लियां शरीर में धंसने के बाद भी एक घंटे तक आ तंकवादियों से लोहा लेते रहे। आखिर में शैलभ के कमांडिंग ऑफीसर ने उन्हें गंभीर रूप से घायल देख अस्पताल भेज दिया। इसके बाद कमांडो शैलभ का पठानकोट सेना अस्पताल इलाज किया गया।
शैलभ की मां मंजुला गौड़ ने बड़े गर्व से बताया कि उनका बेटा बचपन से ही हर क्षेत्र में अव्वल रहा है। उसने कभी किसी से हार नहीं मानी। वह अपने दादा और पिता की तरह एयरफोर्स में जाना चाहता था।
1 जनवरी को जब पठानकोट एयरबेस पर आ तंकी ह मले की सूचना मिली तो आदमपुर में तैनात गरुड़ कमांडो की यूनिट को पठानकोट के लिए रवाना कर दिया गया।
शैलभ के बड़े भाई वैभव ने बताया कि शैलभ को मॉडलिंग का भी शौक है। उसको शुरुआत से जिम का भी शौक है, जिसके कारण वह लंबे चौड़े और गठीले बदन का है।
शैलभ ने अपनी स्कूली शिक्षा कैंट के एयरफोर्स स्टेशन में पूरी की। वहीं कालेज की पढाई एसडी कालेज से पूरी की। वह कालेज के दिनों से ही मॉडलिंग का शौक भी रखते हैं।
गुरुसेवक सिंह और शैलभ गौड़ का जन्म अंबाला कैंट में हुआ है।
दोनों का नाम आज वहां के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। पंजाब के एक मंत्री ने कहा कि ये अंबाला के लिए फख्र की बात है कि शैलभ और गुरुसेवक जैसे जांबाज यहां की धरती पर पैदा हुए। खास बात यह है कि दोनों गरुड़ कमांडो की उम्र 26 साल है।