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अजनबियों की गोद में फेंक रही हैं जिगर के टुकड़े, मिन्नत भी की- इन्हें बचा लो’

अफगानी माताओं (Afghan Mothers) की बेबसी देखकर अफगानिस्तान (Afghanistan) पर पड़े मानवीय संकट (Humanitarian Crisis) का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. अमेरिका (America) और ब्रिटेन (Britain) से आ रहे प्लेन पर लोगों के टूट पड़ने की तस्वीरें तो आपने देखी ही होंगी, अब वहां की मांओं (Afghan Mothers) की बेबसी भी जान लीजिए, जो बच्चों की जान बचाने के लिए उन्हें अजनबियों की गोद (Afghani Mothers Throwing Babies) में फेंक रही हैं.
दिल दहला देने वाले वीडियो (Heart Breaking Video) में महिलाएं (Afghan Mothers) अपने जिगर के टुकड़ों को जिस तरह कंटीले तारों (Throwing Babies over barbed wire) के ऊपर से उस पार फेंक रही हैं, उसे देखकर किसी का भी दिल सहम जाए. उनकी मजबूरी ही इतनी बड़ी है कि उन्हें बच्चे की जान और भविष्य में से किसी एक को चुनना है. बच्चे भी नहीं जानते कि उनका क्या होगा और मां (Afghan Mothers) को भी नहीं पता है कि वो कहां जाएंगे? वे सिर्फ इतना समझती हैं कि जहां भी रहेंगे, तालिबान से बेहतर रहेंगे.
अजनबी हाथों में अपने देश से ज्यादा सुरक्षित हैं बच्चे
अफगानिस्तान की महिलाओं (Afghan Women) की स्थिति ये है कि वे खुद अगर तालिबानियों के चंगुल से नहीं निकल सकतीं तो कम से कम अपने बच्चों को ज़िंदा नर्क (Hell on Earth) से निकालने की उम्मीद कर रही हैं. वे कंटीले तारों के उस पार खड़े सैनिकों की गोद में अपने बच्चों को फेंकते हुए इस बात की भी परवाह नहीं कर रही हैं कि उन्हें चोट लग सकती है.
उन्हें लगता है कि ये जख्म तालिबानियों (Afghanistan Taliban) के कहर के सामने कुछ भी नहीं हैं. ये तालिबान (Taliban Terrorism) का खौफ ही है कि वे नवजात बच्चों को भी खुद से अलग करने को तैयार हैं, लेकिन तालिबानी राज में उनका पलना उन्हें मंजूर नहीं.
Young Afghan women at the airport begging American forces to be saved
pic.twitter.com/I4ZpCLtQ1F— Bruno Maçães (@MacaesBruno) August 18, 2021
सैनिकों की आंखों के आंसू बंद नहीं हो रहे
Sky News से बात करते हुए अमेरिकी सेना के अधिकारी (US Army Officials) का कहना है कि काबुल में जो नज़ारा इस वक्त देखने को मिल रहा है, वो कलेजा चीर देने वाला है. विदेशी सैनिकों के हाथ में अफगानी माएं अपने बच्चों को कंटीले तारों के ऊपर से फेंक रही हैं. ऐसे मानवीय संकट को देखकर विदेशी सैनिक रो पड़ते हैं.
वे मानसिक रूप से इतने परेशान हो चुके हैं कि उन्हें काउंसिंग की ज़रूरत पड़ रही है. महिलाओं की हालत ऐसी है कि वे अपने ही परिवार से भाग रही हैं. परिवार के पुरुष तालिबानी सेना में शामिल हो गए हैं, ऐसे में महिलाओं की हालत ये है कि वे बच्चों समेत दुनिया में कहीं भी जाने को तैयार हैं, लेकिन अफगानिस्तान में नहीं रहना चाहतीं. कुछ देशों में उन्हें शरण देने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इतने सारे लोगों के लिए व्यवस्था कर पाना भी आसान नहीं है.